हवा का एक बड़ा बुलबुला नसों (IV) में से धीरे-धीरे रोगी के शरीर की ओर बढ़ रहा था, लेकिन किसी भी नर्स या डॉक्टर का ध्यान इस ओर नहीं था,लेकिन डॉक्टरों ने एक जानलेवा बुलबुले को रोगी के खून में जाने से रोक दिया..परंतु धारणाओं के विपरीत खून की नलिकाओं में थोड़ी सी हवा चली जाने से कुछ नहीं होता।
वास्तव में एंजियोग्राम करते समय कोरोनरी धमनी तंत्र में थोड़ी सी भी हवा चली जाने के बहुत भयानक परिणाम हो सकते हैं।
किसी भी तरह की ड्रिप या इंट्रावीनस लाइन (IV) में हवा के छोटे बुलबुले आमतौर पर आते रहते हैं और उन्हें पूरी तरह से रोका नहीं जा सकता। किसी भी इंट्रावीनस लाइन में हवा का छोटा बुलबुला खून की छोटी नलियों से होता हुआ बड़ी शिराओं में जाता है। अंत में जब यह दिल के दाएं भाग में पहुंचता है तो दिल इसे तुरंत फेफड़ों में भेज देता है। फेफड़ों में यह बुलबुला वहां की नलिकाओं में मौजूद हवा में मिलकर सांस के रास्ते बाहर निकल जाता है।
जब हवा बहुत अधिक मात्रा (30 से 50 मिलीलीटर या इससे भी अधिक) में खून की नलियों में प्रवेश करती है तो एक बहुत गंभीर स्थिति उत्पन्न होती है जिसे एयर एम्बोलिज्म (air embolism) कहते हैं। हवा की इतनी अधिक मात्रा दिल में पहुंचने पर दिल की कार्यप्रणाली ध्वस्त हो जाती है और दिल का दौरा पड़ जाता है। इस स्थिति में तत्काल सेंट्रल वीनस कैथेटर लगाकर इस हवा को खींचकर निकालने का प्रयास किया जाता है।